सहारा इंडिया के निवेशकों का मामला कई वर्षों से चर्चा में रहा है। लाखों निवेशकों ने अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई सहारा समूह की विभिन्न योजनाओं में जमा की थी। लेकिन विवादों और कानूनी अड़चनों के चलते लंबे समय तक निवेशकों को अपने पैसे की वापसी नहीं मिल पाई। इसी कारण से निवेशक लगातार अपनी राशियों की मांग करते रहे।
सरकार और न्यायालय की निगरानी में इस मामले को हल करने की प्रक्रिया शुरू की गई। अब धीरे–धीरे सहारा इंडिया द्वारा जमा धनराशि की वापसी की शुरुआत कर दी गई है। खासकर कुछ राज्यों और जिलों में निवेशकों के भुगतान की प्रक्रिया शुरू होने से लोगों में उम्मीद की नई किरण जगी है। यह खबर उन सभी परिवारों के लिए राहत लेकर आई है जो वर्षों से अपनी राशि के लिए परेशान थे।
यह पूरी प्रक्रिया “सहारा रिफंड स्कीम” के अंतर्गत चलाई जा रही है। इस योजना का उद्देश्य उन निवेशकों को उनका पैसा लौटाना है, जिन्होंने सहारा समूह की विभिन्न चिटफंड और निवेश योजनाओं में अपनी राशि जमा कराई थी।
Sahara Money Refund
सहारा मनी रिफंड योजना केंद्र सरकार और न्यायालय के आदेश पर शुरू हुई है। इस योजना के तहत निवेशकों को उनकी जमा राशि वापस दी जानी है। इस काम की निगरानी सेबी यानी भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र सरकार ने “CRCS Sahara Refund Portal” के माध्यम से यह प्रक्रिया शुरू करवाई।
इस योजना का लाभ उन निवेशकों को मिल रहा है, जिन्होंने सहारा इंडिया की सहकारी समितियों में पैसा लगाया था। इन समितियों में सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी, सहारा यूनिवर्सल मल्टीपरपज सोसाइटी, सहारा जनरल मल्टीपरपज सोसाइटी और हमसफ़र डेवलपमेंट कोऑपरेटिव सोसाइटी शामिल हैं। सबसे पहले छोटे निवेशकों यानी जिनकी जमा राशि 10,000 रुपये तक थी, उन्हें भुगतान मिलना शुरू हुआ।
किन जिलों में निवेशकों को भुगतान हुआ शुरू
देश के कई राज्यों के जिलों में यह प्रक्रिया धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है। उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में बड़ी संख्या में निवेशक हैं। इनमें से कुछ जिलों में सरकार ने पहले चरण में ही भुगतान शुरू किया है।
कई निवेशकों को अपने बैंक खातों में सीधे पैसे प्राप्त हो चुके हैं। खासकर ग्रामीण इलाकों में रहने वाले बड़े वर्ग को इसका लाभ मिला है। यह कदम इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अधिकतर निवेशक गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों से जुड़े हैं, जो अपनी जमा पूंजी की वापसी की उम्मीद लगाए बैठे थे।
निवेशकों को पैसा कैसे मिलेगा
सहारा रिफंड के लिए निवेशकों को सरकारी पोर्टल पर आवेदन करना होता है। इसके लिए आधार कार्ड और आधार से लिंक बैंक खाता होना अनिवार्य रखा गया है। निवेशक को अपना पैन कार्ड और सहारा की ओर से जारी निवेश से जुड़े दस्तावेज भी प्रस्तुत करने पड़ते हैं।
आवेदन के बाद दस्तावेजों की जांच की जाती है। फिर स्वीकृति के बाद संबंधित राशि सीधे निवेशक के बैंक खाते में भेज दी जाती है। अभी तक के नियमों के अनुसार एक निवेशक को पहले चरण में अधिकतम 10,000 रुपये मिल रहे हैं। आगे चलकर यह सीमा और बढ़ाए जाने की संभावना है।
सरकार और न्यायालय की भूमिका
सहारा इंडिया के करोड़ों निवेशकों को राहत दिलाने में सरकार और न्यायालय की भूमिका बेहद अहम रही है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में आदेश पारित कर निवेशकों के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित की। उसके बाद गृह मंत्रालय और सहकारिता मंत्रालय की निगरानी में रिफंड प्रक्रिया शुरू हुई।
सरकार का कहना है कि यह प्रक्रिया पारदर्शी और सुरक्षित तरीके से की जा रही है, ताकि किसी निवेशक को धोखाधड़ी का सामना न करना पड़े। यही कारण है कि भुगतान सीधे आधार से जुड़े बैंक खाते में ट्रांसफर किया जा रहा है।
निवेशकों की उम्मीदें
सहारा रिफंड की शुरुआत से लोगों में विश्वास कायम हुआ है। जिन निवेशकों को पहली किस्त मिल चुकी है, उनका कहना है कि वर्षों की प्रतीक्षा के बाद अब उन्हें अपनी गाढ़ी कमाई वापस मिल रही है। हालांकि जिन निवेशकों की राशि अधिक है, वे अभी भी आगे की प्रक्रिया का इंतजार कर रहे हैं।
इस पहल से गरीब, मजदूर और छोटे किसान वर्ग के लोगों को सबसे ज्यादा राहत मिलेगी। चूंकि अधिकतर निवेशकों ने अपने भविष्य की योजनाओं के लिए छोटे-छोटे निवेश किए थे, अब पैसे की वापसी होने पर उनकी आर्थिक परेशानियां दूर होंगी।
निष्कर्ष
सहारा मनी रिफंड निवेशकों के लिए लंबे संघर्ष के बाद मिली बड़ी राहत है। सरकार, न्यायालय और सेबी की पहल से यह प्रक्रिया अब तेज़ी से आगे बढ़ रही है। जिन जिलों में भुगतान शुरू हुआ है, वहां से मिली खबरें और भी लोगों के लिए भरोसा बढ़ाने वाली साबित होंगी। आने वाले समय में यह योजना लाखों परिवारों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने का काम करेगी।